किस आरज़ू को भला आसरा दिया जाए

  - Achyutam Yadav 'Abtar'

किस आरज़ू को भला आसरा दिया जाए
किसे ख़ुद अपने ही दिल में डुबा दिया जाए

हवा से हार गया जंग जो चराग़-ए-गोर
बग़ल में उसकी भी तुर्बत बना दिया जाए

अगर सँवरना लिखा है बदन के हिस्से में
तो क्यों न रूह को भी आइना दिया जाए

याॅं नर्म-दिल हैं बहुत से बशर याॅं हैं नादान
अब ऐसे मौक़े पे किसको दग़ा दिया जाए

शिकस्त खा रहे हैं दिल की सुनते-सुनते हम
सलाह-कार हमें अब नया दिया जाए

जो क़र्ज़ मानके हर चीज़ लौटा दे अबतर
उस एक शख़्स को तोहफ़े में क्या दिया जाए

  - Achyutam Yadav 'Abtar'

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