ये कौन कहता है मुझे हसरत है मौत की

  - Achyutam Yadav 'Abtar'

ये कौन कहता है मुझे हसरत है मौत की
पर साँस लेते रहना भी ख़िदमत है मौत की

कोई न होश-मंद रहे देखकर इसे
महबूब से भी ख़ूब-रू सूरत है मौत की

हम पारसाओं को भी नहीं मिलता है बहिश्त
क्या इतनी बे-शुऊर अदालत है मौत की

इसके फ़िराक़ से ही बढ़ेगी मिरी हयात
यानी ये बरहमी भी मोहब्बत है मौत की

हाथों में आए जो भी है वो ज़िंदगी की देन
हाथों से जो भी जाए वो क़ीमत है मौत की

  - Achyutam Yadav 'Abtar'

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