यूं ख़ाँमख़ाँ ना मौत से टकराइये हुजूर
कैसे भी करके लौट के घर आइये हुजूर
परचम यूं जीतने के ना फहराइये हुजूर
मुमकिन अगर हो राहतें बरसाइए हुजूर
लानत है लोग मर रहे हैं दौर ए वबा में
ये राज नीति छोड़िये शर्माइये हुजूर
सब लोग जानते कि बुरा हाल हैं हुजूर
अखबार के सहारे न भरमाइये हुजूर
सच बोलिये कि आप से सँभली नहीं कमान
सब ठीक है की फ़िल्म न दिखलाइये हुजूर
सड़कों पे अस्पतालों में मुर्दाघरों में हम्म
मौतों को इस क़दर भी न झुठलाइये हुजूर
दावे न कीजिये कि सभी ठीक हो रहे हैं
कितने मरे हैं आप ये गिनवाइये हुजूर
सरकार कीजिये न यूं दावे मदद के आप
नम्बर दिए तो फोन तो उठ वाइये हुजूर
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