baad-e-saba ye kya gazab kii chal rahi
baar-e-khuda ye kya gazab kii chal rahi
hai haath unka aaj mere haath me
bakht-e-rasa ye kya gazab kii chal rahi
dekho mohabbat pal rahi dono taraf
dars-e-wafa ye kya gazab kii chal rahi
rahmat hui hai jo piya jee aapki
dast-e-dua ye kya gazab kii chal rahi
sab log kahte hain tiri ye aashiqi
ha-e-khuda ye kya gazab kii chal rahi
hai vasl kii ye raat us par aur ye
kaali-ghata ye kya gazab kii chal rahi
mehfil lagi hai kya gazab jay aapki
tarz-e-ada ye kya gazab kii chal rahi
बाद-ए-सबा ये क्या ग़ज़ब की चल रही
बार-ए-ख़ुदा ये क्या ग़ज़ब की चल रही
है हाथ उनका आज मेरे हाथ मे
बख़्त-ए-रसा ये क्या ग़ज़ब की चल रही
देखो मोहब्बत पल रही दोनों तरफ़
दर्स-ए-वफ़ा ये क्या ग़ज़ब की चल रही
रहमत हुई है जो पिया जी आपकी
दस्त-ए-दुआ ये क्या ग़ज़ब की चल रही
सब लोग कहते हैं तिरी ये आशिक़ी
हा-ए-ख़ुदा ये क्या ग़ज़ब की चल रही
है वस्ल की ये रात उस पर और ये
काली-घटा ये क्या ग़ज़ब की चल रही
महफ़िल लगी है क्या ग़ज़ब 'जय' आपकी
तर्ज़-ए-अदा ये क्या ग़ज़ब की चल रही
As you were reading Shayari by Jaypratap chauhan
our suggestion based on Jaypratap chauhan
As you were reading undefined Shayari