भरोसा ही ज़रूरी है यहाँ रिश्ता निभाने को
नहीं तो हैं कई बैठे तुम्हारा घर जलाने को
भले करते हैं सब तौहीन कस्बी की ही गलियों की
मगर हर कोई जाता है हवस अपनी मिटाने को
अगर जो बात घर की हो दिखाते जेब को ख़ाली
मगर तैयार हैं साहिब नशे मे सब लुटाने को
अगर दौलत तुम्हारे पास तो दुनिया तुम्हारी है
यहाँ क़ीमत अदा होती है हर रिश्ता निभाने को
उजाड़ें हैं कई जंगल की जिसने दाम की ख़ातिर
चले हैं अब वही देखो शजर हर घर लगाने को
मिरे मातम पे वैसे तो कई हैं लोग सुन लो 'जय'
मगर अपने नहीं आए मिरा मातम मनाने को
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