राम देते रहे तो लुटाता रहा
राम रूपी मैं गंगा बहाता रहा
एक बारी सुना राम का जो चलन
राम ही राम दिल गुनगुनाता रहा
दूर जब हो गया मोह माया से मैं
राम जय राम जय राम गाता रहा
राम का हो दरस मुझको अबके बरस
बस यही चाह दिल में बसाता रहा
राम ने जो कहा राम ही राम है
राम का फिर भजन मैं सुनाता रहा
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