फिर से मिलने को ये सौदा ही करें
वादा तो हो भले आधा ही करें
तुम हमें देख के पलटो न कभी
हम तुम्हें देख के रोया ही करें
इश्क़ में दर्द का चर्चा न हुआ
दिल के हालात इशारा ही करें
ख़्वाब महफ़ूज़ हैं आँखों में अभी
इनको ताबीर का सौदा ही करें
अब न पहलू में कोई बैठ सके
अपनी तन्हाई को अपना ही करें
अब तो रिश्तों का भरम भी न रहे
जो भी सच हो वही देखा ही करें
दिल में उलझी हुई गिरहें खोलें
या मोहब्बत को अधूरा ही करें
राह तकते हैं सदा रातों में
चाँद को अपना सहारा ही करें
आज फिर से कोई अफ़वाह उड़ी
चलो हम उस पे भरोसा ही करें
दुश्मनी की भी शराफ़त देखो
ग़म दिए और कहा हँसना ही करें
ख़त जो भेजा था मोहब्बत में कभी
फिर वही बात तमाशा ही करें
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