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वही ग़म है वही ईज़ा रिसानी  - Ahmad Imam

वही ग़म है वही ईज़ा रिसानी
अगरचे अब नहीं आँखों में पानी

जो बाज़ारी हैं हाकिम बन गए हैं
वो हैं महकूम जो हैं ख़ानदानी

कभी ऐसा करो कुछ कर दिखाओ
कहाँ तक और कब तक लन-तरानी

दिखाएगा मियाँ आँखें ज़माना
अगर क़ाएम रहेगी बे-ज़बानी

सहारा दो जहाँ में बेकसों को
पुरानी हो गई है ये कहानी

मोहब्बत पर है आलम जाँ-कनी का
अदावत में है बिजली सी रवानी

- Ahmad Imam

Miscellaneous Shayari

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