यहाँ बस इस ज़रूरत के लिए रक्खा गया है
खिलौने को शरारत के लिए रक्खा गया है
हैं जिसके ये गुल-ए-ग़ुंचा मसलने के इरादे
उसी को अब हिफ़ाज़त के लिए रक्खा गया है
ये जो यक-लख़्त मेरी राह के पत्थर बने हैं
इन्हें मेरी बग़ावत के लिए रक्खा गया है
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