ये जितने लोग हैं देखा करेंगे
तमाशा हम भी कुछ ऐसा करेंगे
न कर पाए अगर कुछ हम जहाँ में
तो अपने आप को रुसवा करेंगे
मिली है इश्क़ में क़िस्मत ये ऐसी
सुनेंगे जो वो सब कोसा करेंगे
हमारे सोचने से कुछ न होगा
भले हम सोचे कुछ अच्छा करेंगे
दिलों में पाल कर लाए हैं नफ़रत
मगर काबे में ये सज्दा करेंगे
शिकायत दोस्तों से कुछ नहीं है
मुझे मालूम था धोखा करेंगे
सुख़न के शहर में जब रक़्स होगा
तो हम भी पाँव कुछ टेढ़ा करेंगे
जो अपने दिल से हल्का कर न पाए
जहाँ का बोझ वो हल्का करेंगे
तुम्हारा साथ तो कुछ भी नहीं है
हम अपनी साँस से तौबा करेंगे
कभी तो आएगा वक़्त-ए-मुक़र्रर
कभी तो क़ब्र में जाया करेंगे
ग़ज़ल के नाम पर साहिल सुख़न में
दिलों के ज़ख़्मों का धंधा करेंगे
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