0

कितनी साकित थी बहुत ख़ामोश लगती थी नदी - Asif Kaifi

कितनी साकित थी बहुत ख़ामोश लगती थी नदी
पास जाकर मैंने जाना कितनी गहरी थी नदी

शहर से जब लौटता था अपनी मिट्टी की तरफ
मेरे गाँव की सड़क के साथ चलती थी नदी

एक दिन ये है मयस्सर चंद कतरे भी नहीं
एक दिन वो थे मेरी बस्ती में बहती थी नदी

- Asif Kaifi

Miscellaneous Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Asif Kaifi

As you were reading Shayari by Asif Kaifi

Similar Writers

our suggestion based on Asif Kaifi

Similar Moods

As you were reading Miscellaneous Shayari