हज़ारों ज़ख्म खाकर भी यहाँ पर मुस्कुराना है
हमें काटों में रहकर भी सदा ख़ुशबू लुटाना है
अलग अंदाज़ होता है जवानी के दिनों का भी
हवा भी तेज़ है इसमें दिये को भी जलाना है
नज़र आए कहीं यारों तो मुझको इत्तला करना
हथेली खींच कर उसकी मुझे इक दिल बनाना है
कभी बारिश कभी सावन कभी फ़ूलों के गुलशन सा
शुरू में प्यार का मौसम बहुत लगता सुहाना है
वो बुत जिसको तराशा हम ने अपनी ज़िन्दगी देकर
उसे ही याद रखना है उसी को भूल जाना है
अमाँ सीखो रियाज़ी ज़िन्दगी का फ़लसफा हमसे
मोहब्बत जोड़ना इसमें से नफ़रत को घटाना है
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