यूँ हुनर का हमने इक सौदा किया और सो गए
रतजगो को रात में आधा किया और सो गए
इश्क़ की वो इक गली जो अब तलक बे-जान है
ख़्वाब का दिन भर वहीं पीछा किया और सो गए
उम्र भर का था तक़ाज़ा, एहतियातन साथ हैं
रब्त को हमने बहुत गहरा किया और सो गए
इस क़दर तारी थी वहशत रात दिल और ज़ेहन पर
इक ग़ज़ल को हमने दो-ग़ज़ला किया और सो गए
मुतमइन हैं इक सितारा शाख़ से हम तोड़ कर
वहशतों को बाग़ में बरपा किया और सो गए
है अजब सा इक सुकूँ इस तंग ख़स्ता हाल में
घर को अपने आग से पक्का किया और सो गए
खौफ़ का मंजर था चारों ओर इन पलकों तले
नींद को फिर हमने ना-बीना किया और सो गए
उठ गए थे इश्क़ में हम हिज्र की इक चोट से
हमने फिर ये काम दोबारा किया और सो गए
चाँद को हमने सजा रक्खा था कल दीवार पर
आसमाँ कल रात वीराना किया और सो गए
मैं उलझ कर रह गया था ख़ामुशी के दर्मियाँ
मेरा सन्नाटों ने बँटवारा किया और सो गए
प्यास की शिद्दत थी और आँखें भरी थी नींद से
फिर तो सय्यद झील को क़तरा किया और सो गए
Read Full