वो कभी मेरे गले आ मिलता
सहरा में प्यासे को दरिया मिलता
वो मेरा हाथ पकड़ के चलता
भटके नाविक को किनारा मिलता
इश्क़ में दर्द मिले सिर्फ़ और सिर्फ़
और कुछ मिलता भी तो क्या मिलता
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