ख़यालों में सताने लग गए हो - Divakar Ojha

ख़यालों में सताने लग गए हो
मुझे तुम याद आने लग गए हो

पलट कर बात यूँ अहद-ए-वफ़ा की
मुझे सिगरेट पिलाने लग गए हो

अभी ग़ुस्से में हो तो बात क्या हो
अमाँ तुम बड़बड़ाने लग गए हो

बड़े मासूम सीधे भोले भाले
हर इक को आज़माने लग गए हो

हवा कर देनी थी जो बात उसको
कहीं दिल में बिठाने लग गए हो

ये कॉफ़ी धुंद वो रात और सर्दी
पता दिल का बताने लगे गए हो

'दिवाकर' सोच लो महँगा पड़ेगा
उसे सर पर चढ़ाने लग गए हो

- Divakar Ojha
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