क्या लिये जाते हो तुम कन्धों पे यारो - Gulzar

क्या लिये जाते हो तुम कन्धों पे यारो
इस जनाज़े में तो कोई भी नहीं है,
दर्द है कोई, न हसरत है, न ग़म है
मुस्कुराहट की अलामत है न कोई आह का नुक़्ता
और निगाहों की कोई तहरीर न आवाज़ का कतरा
क़ब्र में क्या दफ़्न करने जा रहे हो?

सिर्फ़ मिट्टी है ये मिट्टी-
मिट्टी को मिट्टी में दफ़नाते हुए
रोेते हो क्यों ?

- Gulzar
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