अकेला यूँ भी रहा हूँ मैं कभी
कि मैं ही नही रहा हूँ मैं कभी
लोग आते है रहते है चले जाते है
कहते है वो भी मुझ से थे कभी
क्यूँ कोई ठहरता नही रुकता नही
चाय भी पूछो तो कहे फिर कभी
कोई मिले ऐसा जो रहे साथ हमेशा
हाल पूछे बताए वो कभी मैं कभी
किसी पल तो ज़िंदगी पूरी है कनोर
क्यूँ नही हर पल ये क्यूँ है कभी कभी
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