बिगड़े हम ही नही है, बिगड़े तुम भी थोड़े बहुत
आग बेशक इधर है, जले तुम भी हो थोड़े बहुत
हमने भी छुपा रक्खा था , अपनी जां को जां से
टूटे नही है पूरे अभी , हम भी बेईमां है थोड़े बहुत
तुमने देखा ही कितना है , मेरी रूह के तिलिस्म को
हुए दिखे छुपे मिटे , ग़म ऐसे भी है थोड़े बहुत
हमसे सौदा चाहते हो , वापसी की थोड़ी मोहलत देना
हम गरीब घर से है , हम पर उधार है थोड़े बहुत
अब क्या ही तुम उसका , कुछ कर पाओगे कनोर
वो तुम में भी है पूरा , तुम खुद में भी हो थोड़े बहुत
As you were reading Shayari by Kanor
our suggestion based on Kanor
As you were reading undefined Shayari