आसमानों से ज़्यादा ज़मीं पर छा रहा है
हुस्न-ए-महताब तुझमे नज़र आ रहा है
तेरी सूरत से रोशन हो रहे है सितारे
तेरे चश्म का नूर फ़लक तक जा रहा है
होने को तो हो सकती है तबाह दुनिया
कान का ये झुमका कहर ढा रहा है
कितनी वाह करुँ कितना मनाऊँ तुझे
कह दे तू भी जो दिल में आ रहा है
हर रोज़ तू कहिं न कहिं दिखाई देती है
लिहाज़ा मेरा हर दिन अच्छा जा रहा है
इस महंगाई में बढ़े है दाम मोह्हब्ब के
तेरा हसीन होना तुझे नादिर बना रहा है
ऐहसान कर दे कि दिल दुआएं देगा तुझे
यकीं कर दे ख़्वाब जो हर रात आ रहा है
तेरे गेसू ही रोकेंगे मुझे हद करने से
और बदन तेरा शहद हुआ जा रहा है
थोड़ा इख़्तियार कर 'कनोर' थोड़ा संभल
कुछ जवाब आने दे क्या यूँ बोले जा रहा है
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