इतना तो दूर जा कि तुझे ढूँढता फिरूँ
मत छोड़ नक्श-ए-पा कि तुझे ढूँढता फिरूँ
इस ज़िंदगी में हर घड़ी मसरूफ़ियत रही
मौक़ा नहीं मिला कि तुझे ढूँढता फिरूँ
मर तो रहा हूँ मैं तेरी चारागरी के बिन
इतना नहीं मरा कि तुझे ढूँढता फिरूँ
मैंने तमाम ज़िंदगी सो कर गुज़ार दी,
मुझको ये हुक्म था कि तुझे ढूँढता फिरूँ
आ कर हमारे इश्क़ की महफ़िल में बैठ कर
ऐसी ग़ज़ल सुना कि तुझे ढूँढता फिरूँ
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