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कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है - Kumar Vishwas

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है

यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है

समंदर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
यह आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता

- Kumar Vishwas

Aankhein Shayari

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