दिल मेरा हैरानी में है
आग लगी क्यों पानी में है
लेके जान मिरी कहती वो
इश्क़ तो बस क़ुर्बानी में है
छोड़ गया वो मुझे ये कहके
इश्क़ हुआ नादानी में है
क़िस्सा गो ख़ामोश है लेकिन
कैसा शोर कहानी में है
चेला गुरु बन बैठा है अब
नशा बड़ा कप्तानी में है
राजा को है ये कैसा दुख
ध्यान सभी का रानी में है
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