हम को सलाम करता है तो जता जता कर
जो रोज़ ख़ूब पीता भी है छुपा छुपा कर
उस की अजीब फ़ितरत है राज़ खोलने की
जो राज़ पूछता है हम को हँसा हँसा कर
उस शख्स की अना उस को बस डुबा ही देगी
जो ज़हर बोलता है सब को ड़रा ड़रा कर
वो ज़ख़्म तो कभी भरते ही नहीं दवा से
जो ज़ख़्म बस दिए जाते हैं सुना सुना कर
हम तो गए थे अपना दुखड़ा उसे सुना ने
हम को थका दिया उस ने बस बिठा बिठा कर
इस बार ज़िन्दगी हम से रूठ ही न जाए
इस बार मौत ले जाएगी रुला रुला कर
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