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Shajar Shayari
तेरे लगाये हुए ज़ख्म क्यूँ नही भरते
मेरे लगाये हुए पेड़ सूख जाते हैं
Tehzeeb Hafi
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वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं
वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता
Tehzeeb Hafi
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साया है कम खजूर के ऊँचे दरख़्त का
उम्मीद बाँधिए न बड़े आदमी के साथ
Kaif Bhopali
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वो पास क्या जरा सा मुस्कुरा कर बैठ गया
मैं इस मजाक को दिल से लगा के बैठ गया
दरख़्त काट के जब थक गया लकड़हारा
तो एक दरख़्त के साए में जा के बैठ गया
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Zubair Ali Tabish
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रुकें तो धूप से नज़रें बचाते रहते हैं
चलें तो कितने दरख़्त आते जाते रहते हैं
Charagh Sharma
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वो पेड़ जिस की छाँव में कटी थी उम्र गाँव में
मैं चूम चूम थक गया मगर ये दिल भरा नहीं
Hammad Niyazi
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है दुख तो कह दो किसी पेड़ से परिंदे से
अब आदमी का भरोसा नहीं है प्यारे कोई
Madan Mohan Danish
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जिसे तुम काट आये उस शजर को ढूँढता होगा
परिंदा लौटकर के अपने घर को ढूँढता होगा
Bhaskar Shukla
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कुछ भी नहीं तो पेड़ की तस्वीर ही सही
घर में थोड़ी बहुत तो हरियाली चाहिये
Himanshu Kiran Sharma
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यूँ न कर वस्ल के लम्हों को हवस से ताबीर
चंद पत्ते ही तो तोड़े हैं शजर से मैं ने
Khurram Afaq
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बहुत शरीफ भी होना गुनाह है साहेब
दरख़्त सीधे हों तो काट लिए जाते हैं
Ritesh Rajwada
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जिस की हर शाख़ पे राधाएँ मचलती होंगी
देखना कृष्ण उसी पेड़ के नीचे होंगे
Bekal Utsahi
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बिछड़ के तुझ से न देखा गया किसी का मिलाप
उड़ा दिए हैं परिंदे शजर पे बैठे हुए
Adeem Hashmi
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परिंद पेड़ से परवाज़ करते जाते हैं
कि बस्तियों का मुक़द्दर बदलता जाता है
Asad Badayuni
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तू ये न देख कि सब टहनियाँ सलामत हैं
कि ये दरख़्त था और पत्तियाँ भी रखता था
Irfan Siddiqi
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लो चाँद हो गया नमू माह-ए-ख़राम का
ऐ मोमिनों लिबास-ए-सियाह ज़ेब-ए-तन करो
फ़र्श-ए-अज़ा बिछा के अज़ाख़ाने में शजर
अब सुब्ह-ओ-शाम ज़िक्र-ए-ग़रीब-उल-वतन करो
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Shajar Abbas
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इक मुहब्बत से भरी उस ज़िंदगी के ख़्वाब हैं
पेड़ दरिया और पंछी तेरे मेरे ख़्वाब हैं
Neeraj Nainkwal
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इसलिए भी इस शजर से सबको इतना प्यार है
दे रहा है फल अभी ये और सायादार है
ऐ ख़ुदा इस ना-ख़ुदा की ख़ैर हो ये नासमझ
ये समझता है कि इसके हाथ में पतवार है
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Vashu Pandey
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आप जिस चीज़ को कहते हैं कि बेहोशी है
वो दिमाग़ों में ज़रा देर की ख़ामोशी है
सूखते पेड़ से पंछी का जुदा हो जाना
ख़ुद-परस्ती नहीं एहसान-फ़रामोशी है
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Ashu Mishra
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वो मेरी दुनिया का हिस्सा थी मेरी दुनिया नहीं
इक शजर कटने से वन वीरान हो जाएगा क्या
Balmohan Pandey
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