“ख़ुदा अब मुझे चैन मिलता नहीं है”
न आराम अब मुझको इक पल भी यारों
मुझे याद आया था वो कल भी यारों
वो यारों मेरे साथ क्यूँ कर गया ये
कोई तो दवा हो जो आराम दे दे
मैं दफ़्तर के पहिये में पिसने लगा हूँ
हैं हाथों में पत्थर मैं ख़ुद आइना हूँ
वो तारों से आगे मैं धरती के अंदर
बना है वो पागल जो कल था सिकंदर
वो कल था जहाँ पर वो अब भी वहीं है
ख़ुदा अब मुझे चैन मिलता नहीं है
मैं बरसों से दर दर भटकता रहा हूँ
मैं बेचैन भी हूँ मैं बे-आसरा हूँ
नये ज़ख़्म फिर से है लायी मोहब्बत
कि जब से हुई है परायी मोहब्बत
मोहब्बत का मुझको सिला ये मिला है
दिवानों का अब साथ में क़ाफ़िला है
सुकूँ ढूँढते ढूँढते थक गया हूँ
मैं दुनिया से आगे फ़लक तक गया हूँ
ये दिल है कहीं और धड़कन कहीं है
ख़ुदा अब मुझे चैन मिलता नहीं है
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