इतनी छोटी बात में घर बार लेकर आ गए
फूल की चर्चा में तुम तलवार ले कर आ गए
हारने जैसी तो नौबत भी नहीं आई थी दोस्त
सबकी छोड़ो यार तुम भी हार लेकर आ गए
हम नहीं सोचे थे इतना दूर तक सोचोगे तुम
एक कन्धा चाहिए था चार लेकर आ गए
डूबने वाली थी नय्या सिर्फ़ इतना याद है
कौन थे वो लोग जो पतवार लेकर आ गए
एक सैनिक फिर तिरंगे में लिपट जाएगा घर
अश्रु बूढ़ी आँख में अख़बार लेकर आ गए
चाहिए हमको नहीं रोटी सियासत की कभी
कह रहे थे जो वही सरकार लेकर आ गए
बुझ गया होता दिया नफ़रत के इस तूफ़ान में
वो तो हम थे जो हमेशा प्यार लेकर आ गए
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