कभी दिल भी कभी घर भी कभी ख़ंजर बदलता है

  - Raunak Karn

कभी दिल भी कभी घर भी कभी ख़ंजर बदलता है
वही तो यार मेरा था वही मंज़र बदलता है

सही में यार वो हरदम, हमारे पास रहता था
पता है ही नहीं अब क्यूँ वही बिस्तर बदलता है

हमारे साथ में तो रोशनाई भी नहीं आई
हमें अब देखते ही अब वही दावर बदलता है

हमें सिखला रहा है वो अरे अब प्यार की बातें
वही जो दो दिनों में ही सभी दिल-बर बदलता है

सभी वो पैतरे को आज़मा के देख लिया है
पता है भी नहीं वो क्यूँ सभी निश्तर बदलता है

समझ तो है नहीं उसको किसी मजबूरियों की हाँ
नज़र आते कमी वो तो सभी नौकर बदलता है

वही जो फूल बरसाता हमारे ही लिए अक्सर
वही अब यार कितने ही यहाँ पत्थर बदलता है

लगी है प्यास अब हमको सही तो कह रहे हैं हम
सही ये बात है लेकिन वही सागर बदलता है

समझ में बात आ जाए सभी हाँ फिर सुधर जाए
समझ की बात पे तो सब यहां मुख़्बर बदलता है

यही जो लोग रस्ते पे खड़े हैं यार कब से वो
यही कहते रहे है सब यहाँ घर-वर बदलता है

अरे!माँ तो हमेशा बोलती है बात सच आख़िर
अरे! बेटा सभी माँ पे यहाँ तेवर बदलता है

किसानों की यहाँ पे बात कोई भी नहीं सुनता
कहाँ वो गाड़ियों जैसे ज़मीं बंजर बदलता है

यहाँ तो बात है 'रौनक ' यहाँ तो दर्द रहता है
यहाँ तो यार तेरा आँख भी अख़गर बदलता है

  - Raunak Karn

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