दूर रहकर भी तुझे भूल नहीं पाएँगे
याद आएगी तो तड़पेंगे मचल जाएँगे
उम्र भर साथ निभाने का जो वादा कर ले
छोड़कर सब को तेरे पास चले आएँगे
बिन तेरे साँस भी रुक रुक के चला करती है
ऐसा लगता है तेरे हिज्र में मर जाएँगे
मेरे महबूब को गुलशन में ज़रा आने दो
फूल हर रंग के क़दमों में बिखर जाएँगे
अब तो तन्हाई भी हँसती है मेरे आँसू पर
कब तलक ऐसे ही रो-रो के मरे जाएँगे
उनके एल्बम में है तस्वीर पुरानी मेरी
अब वो देखेंगे तो पहचान नहीं पाएँगे
उनको फलदार अभी और रज़ा होने दो
शाख़ के जैसे अभी और लचक जाएँगे
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