0

दूरी किसी के बीच यहाँ कम से कम रहे - Srishti Alok

दूरी किसी के बीच यहाँ कम से कम रहे
परवरदिगार इश्क़ पे तेरा करम रहे

मैं इश्क़ हूँ भरम है मिरा पर भरम रहे
नफ़रत का अस्ल में कोई क्यूँ मोहतरम रहे

तन्हा सफ़र में लुत्फ़ नहीं ऊब है फ़क़त
लुत्फ़-ए-सफ़र है साथ अगर हम-क़दम रहे

मुमकिन नहीं है फिर भी यही चाहता है दिल
इक शख़्स मेरे पास बना दम-ब-दम रहे

हुस्न-ए-ग़ज़ल, ज़मीन नयी देता हो अगर
फिर तो तमाम उम्र मुझे कोई ग़म रहे

- Srishti Alok

Gham Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Srishti Alok

As you were reading Shayari by Srishti Alok

Similar Writers

our suggestion based on Srishti Alok

Similar Moods

As you were reading Gham Shayari