तू किस क़दर हसीन है तुझको पता भी है

  - Yatharth Vishnu

तू किस क़दर हसीन है तुझको पता भी है
ये हुस्न तेरा देख के हैराँ ख़ुदा भी है

मम्मी हैं डैड और बता कितने लोग हैं
तू ही बड़ी है घर में या भाई बड़ा भी है

मत हो उदास दोस्त तू इतना यक़ीन रख
इन मुश्किलों के बाद में इक रास्ता भी है

ऐसे मिला वो मुझसे कि जैसे हो अजनबी
वो जानता भी है मुझे पहचानता भी है

ये शाइरी का तुम यूँ न ताना दिया करो
रोटी बनाने की सुनो मुझमें कला भी है

माना कि रुपए लाख महीने के पा रहा
इक बार पर वो बाप को कुर्ता दिया भी है

तेरी हज़ार ख़ामियाँ मुझको क़ुबूल थीं
पर ये पता नहीं था कि तू बेवफ़ा भी है

यथार्थ विष्णु

  - Yatharth Vishnu

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