हो गई ऐसी क्या ख़ता मुझ से - Viru Panwar

हो गई ऐसी क्या ख़ता मुझ से
ज़िंदगी रहती है ख़फ़ा मुझ से

दो ही चीज़ों से इश्क़ है उस को
पहला ख़ुद से व दूसरा मुझ से

उसी दिन से मैं रहता हूँ बीमार
हुआ जिस रोज़ वो जुदा मुझ से

अब कहाँ है वो सेल्फ़ी वाला शख़्स
पूछ लेता है कैमरा मुझ से

यार पिछले बरस वफ़ा पे शेर
सुनती थी एक बेवफ़ा मुझ से

मेरी तारीकी खा गई उस को
रौशनी का था सामना मुझ से

- Viru Panwar
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