इस जहाँ के वास्ते ख़तरा है इंसान

  - Viru Panwar

इस जहाँ के वास्ते ख़तरा है इंसान
सौ दरिंदे हैं यहाँ पहला है इंसान

जानवर बनने के लायक़ भी नहीं जो
ऐसे ऐसों को बना रक्खा है इंसान

कहना बनता तो नहीं पर कह रहा हूँ
उस ख़ुदा की फालतू रचना है इंसान

उस को फिर बर्बाद कर के छोड़ता है
जिस भी दुनिया में क़दम रखता है इंसान

इन दरख़्तों से हवा से और ख़ुदा से
अपनेे मतलब के लिए मिलता है इंसान

  - Viru Panwar

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