हो गई ऐसी क्या ख़ता मुझसे
ज़िंदगी रहती है ख़फ़ा मुझसे
दो ही चीजों से इश्क़ है उसको
पहला ख़ुदसे व दूसरा मुझसे
उसी दिन से में रहता हूँ बीमार
हुआ जिस रोज़ वो जुदा मुझसे
यार पिछले बरस वफ़ा पे शेर
सुनती थी एक बेवफ़ा मुझसे
अब कहाँ है वो साथ वाला शख़्स
पूछ लेता है कैमरा मुझसे
मेरी तारीकी खा गई उसको
रौशनी का था सामना मुझसे
उस के क़दमों के माँगता है निशान
मेरी मंज़िल का रास्ता मुझसे
Read Full