ताज़ीम मिले तुम को, ये आसान नहीं है
उस्ताद बनो याँ कोई नादान नहीं है
हँसता हुआ इक परदा मिरे कमरे में होगा
और बस वही उस कमरे की पहचान नहीं है
तनवीर है जर्रार की हर एक कहानी
पर उनके घरों में कोई मुस्कान नहीं है
एहसास बँधे मंद हवाओं के बदन से
अब दरमियाँ इनके कोई तूफ़ान नहीं है
नुक़सान तो होने को हो ही सकता है मेरा
पर इसमें भी मेरा कोई नुक़सान नहीं है
एहसान का ही कर्ज़ अदा कर रहा हूँ मैं
ये फर्ज़ है मेरा कोई एहसान नहीं है
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