यार क़ुर्बत नहीं अब मिरे काम की
ये सुहूलत नहीं अब मिरे काम की
आरज़ू अब नहीं है किसी की मुझे
तो मोहब्बत नहीं अब मिरे काम की
उस खु़दा से नहीं अब मिरा राब्ता
तो इबादत नहीं अब मिरे काम की
अब कमाने की चाहत नहीं है मुझे
तो तिजारत नहीं अब मिरे काम की
फस गया हूँ मैं ऐसे पस-ओ-पेश में
ये हिदायत नहीं अब मिरे काम की
ज़िंदगी चल रही झूठ के आसरे
तो हक़ीक़त नहीं अब मिरे काम की
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