वो कभी ठानता कुछ भी हो सकता था
आने को रास्ता कुछ भी हो सकता था
याद मुझ को न कोई किया उम्र भर
हिचकियों से मिरा कुछ भी हो सकता था
क़ैस के हाल से है किसे रब्त पर
वो पलट देखता कुछ भी हो सकता था
एक ही शक्ल ग़म चाहिए था कोई
और वो ग़म-ज़दा कुछ भी हो सकता था
एक तस्वीर के हम सहारे जिए
और उसके सिवा कुछ भी हो सकता था
दोस्त बादा या औरत मयस्सर हमें
जो सहारा न था कुछ भी हो सकता था
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