Safeer Ray

Safeer Ray

@Safeerrayy

gfh shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in gfh's shayari and don't forget to save your favorite ones.

Followers

28

Content

15

Likes

799

Shayari
Audios
  • Ghazal
  • Nazm
दिल में पलता है यही अरमान दे दें
सर पटक के दर पे तेरे जान दे दें

हो यही आलम सुख़न-वर क्या लिखे फिर
हर्फ़ ही जब पागल-ओ-पहचान दे दें

ढाल मेरी पेन है तलवार स्याही
कर्ण के माफ़िक भी क्या ये दान दे दें

है अगर रब की रची हर एक शय तो
मिल के क्या काफ़िर सभी कुफ़्रान दे दें

बिक रही है आस्था अब हर गली में
दाम पर दर्शन सभी भगवान दे दें

क्यों भटक कर ये मोहब्बत ढूँढते हो
हमसे आ के मिल लो हम गुरफ़ान दे दें

नफ़रतों की चोट खाकर हो गुरेज़ाँ
जान पहलू में रहो मेहरान दे दें

इन दहकते लब से छू कर राख कर दो
इस हुनर का गर कहो भुगतान दे दें

इन फ़सीलों पर लहू के दाग़ कैसे
नाम में सब आशिक-ओ-मीरान दे दें

इश्क़ ज़ालिम है कि जैसे एक बूचड़
क्या तुम्हें इस बात की पहचान दे दें

मक़्तलों पे मर के लटका एक बकरा
और कसाई पूछता है रान दे दें
Read Full
Safeer Ray
सितारों से उलझता जा रहा हूँ
ख़यालों में भटकता जा रहा हूँ

तिरी आँखों का जादू बोलता है
मैं ख़ुद में ही सिमटता जा रहा हूँ

तअल्लुक़ का भरम टूटा है लेकिन
अभी तक सर पटकता जा रहा हूँ

गुज़रता वक़्त कुछ कहता नहीं है
मगर मैं सब समझता जा रहा हूँ

तिरी तंज़ीम में जलवा भी देखा
मगर फिर भी लुटाता जा रहा हूँ

तिरी हर बात में दुनिया नई थी
मैं हर लफ़्ज़ों को पढ़ता जा रहा हूँ

ग़म-ए-दुनिया से मैं वाक़िफ़ बहुत हूँ
मगर तुझ से उलझता जा रहा हूँ

तिरे पहलू में जन्नत भी नहीं थी
मगर फिर भी ठहरता जा रहा हूँ

मिरी बर्बादियों पर ख़ुश बहुत तू
मैं फिर भी मुस्कुराता जा रहा हूँ

तिरे लहजे में शोख़ी भी बहुत थी
मगर मैं दिल दुखाता जा रहा हूँ

मिरे अफ़्क़ार का मौसम है बदला
मैं बादल सा बरसता जा रहा हूँ

मुझे हर ज़ुल्म की आदत पड़ी है
तिरी दुनिया में रहता जा रहा हूँ

तआरुफ़ था कभी मैं भी बहारों
मगर बन ख़ाक उड़ता जा रहा हूँ

तिरी महफ़िल में बेगाना सा हूँ मैं
तिरे सज्दे से उठता जा रहा हूँ

मुझे हर मोड़ पर ठोकर मिली है
मगर मंज़िल भी पाता जा रहा हूँ

तिरी रहमत का ख़्वाबीदा था हरदम
मगर अब जागता सा जा रहा हूँ

तिरी ज़ुल्फ़ों में उलझे दिन गुज़ारे
मगर अब फिर सुलझता जा रहा हूँ

मैं वो बर्बादियों की दास्ताँ हूँ
जिसे हर वक़्त पढ़ता जा रहा हूँ

अजल के क़हक़हे गूँजे फ़ज़ा में
मैं आख़िर तक भी ज़िंदा जा रहा हूँ
Read Full
Safeer Ray
फिर से मिलने को ये सौदा ही करें
वादा तो हो भले आधा ही करें

तुम हमें देख के पलटो न कभी
हम तुम्हें देख के रोया ही करें

इश्क़ में दर्द का चर्चा न हुआ
दिल के हालात इशारा ही करें

ख़्वाब महफ़ूज़ हैं आँखों में अभी
इनको ताबीर का सौदा ही करें

अब न पहलू में कोई बैठ सके
अपनी तन्हाई को अपना ही करें

अब तो रिश्तों का भरम भी न रहे
जो भी सच हो वही देखा ही करें

दिल में उलझी हुई गिरहें खोलें
या मोहब्बत को अधूरा ही करें

राह तकते हैं सदा रातों में
चाँद को अपना सहारा ही करें

आज फिर से कोई अफ़वाह उड़ी
चलो हम उस पे भरोसा ही करें

दुश्मनी की भी शराफ़त देखो
ग़म दिए और कहा हँसना ही करें

ख़त जो भेजा था मोहब्बत में कभी
फिर वही बात तमाशा ही करें
Read Full
Safeer Ray
ज़मीं ने फिर से तेरे ख़्वाब को जगाया है
सबा ने ग़ुंचों से हर राज़ को छुपाया है

यक़ीं में डूबे हैं दिल के तमाम अफ़साने
गुमाँ ने फिर भी तसव्वुर को क्या सुनाया है

शबों के लम्हे जो ज़हराब-ए-फ़िक्र बन बैठे
सितम को अश्क ने सीने में यूँ बसाया है

रहे रक़ीब तो माज़ी को भूलना चाहा
नज़र ने याद का एक-एक क़र्ज़ खाया है

गुलों का दर्द तो शायद हवा समझ लेती
मगर हिसाब वफ़ा आँख ने निभाया है

शबाब-ए-ज़िन्दगी मौजा-ए-ख़ार बन निकली
जिसे न देखना था वक़्त ने दिखाया है

रियाज़-ए-दिल का सुकूँ ग़म-ज़दा ही पाया है
तुझे भुलाने में हर तर्ज़ आज़माया है

वो आरज़ू में तेरी इक गली का शाइर था
सवाल तेरी वफ़ा ने उसे बनाया है
Read Full
Safeer Ray
रगड़ रगड़ के जो एड़ियों को अक़ीदे चक्कर लगा रहे हो
अजीब दुंबे हो ख़्वाह मख़ाह में बुला रही क्यों ही जा रहे हो

मज़ाक़ जानिब तुम्हारे करके वो हर सखी को बता रही है
ये देखो जाहिल गॅंवार आशिक़ है अपनी तफ़री करा रहे हो

ज़रा सी ग़ैरत की फाॅंक फाॅंको अमाॅं मियाॅं तुम ये बात समझो
बनो हो सैयाँ छबीले जानी यूँ अपने कुनबे सता रहे हो

रक़ीब हम को बता के तुमने बड़ी फ़ज़ीहत उड़ाई बेटा
न जाने कितनों का शोना बाबू जिसे तुम अपना बता रहे हो

हमारी मानो ये काम कर लो कि लेखपाली प्रपत्र भर लो
बनाओ ताज़ीर अपनी ज़ाहिद यूँ अपने सजदे गिना रहे हो

नसीब का ये हिसाब देखो ज़बाॅं से आगे ख़िलाफ़ निकले
जो चाँद चुम्बन में ढूँढते थे उसी को राहें दिखा रहे हो

बहार आई थी बाग़ में जब तो तुमने काँटे चुने थे जानिब
जो फूल मुरझा के गिर चुका है उसी को मज़हब बना रहे हो

ये इश्क़ दुनिया ये नामुरादी हमारी बातों पे ग़ौर कर लो
बचाओ रूहों का ताज तर्ज़ा ये फ़र्ज़ अपने भुला रहे हो
Read Full
Safeer Ray
दुश्मनी से वो हमें फिर यूँ सज़ा देने लगे
दोस्त बनकर वो हमें ज़ख्म-ए-वफ़ा देने लगे

इश्क़ करने का सिला कुछ इस तरह हमको मिला
लोग क़ातिल बनके फिर दिल की दवा देने लगे

जुर्म हमसे ये हुआ जो सच था उसको सच कहा
अब अदावत में हमें अपने सज़ा देने लगे

मेरे ज़ेर-ओ-बम पे जो बनते थे रश्क-ए-हूर वो
वो ही देखो अब हमें ज़हर-ए-वबा देने लगे

शहर के चौराहे पर चुपचाप बस हम थे खड़े
और जो मासूम थे सब बद-दुआ देने लगे

हर घड़ी झूठे बयानों के चले जो सिलसिले
जो वफ़ा के ख़ान-ए-ख़ानाँ वो खता देने लगे

सरपरस्ती में था जिनके घर मेरा ये फूस का
वो ही आँधी बनके शोलों को हवा देने लगे

मेरे इश्क़-ए-नूर के जो थे मज़म्मत दार सब
मेरी हालत देख कर वो भी दुआ देने लगे
Read Full
Safeer Ray