जो भी अच्छा भला आदमी है ख़ुदा
बस उसी से तेरी दुश्मनी है ख़ुदा
मानता हूँ तुझे क्या ये काफ़ी नहीं
क्या तेरी बंदगी लाज़मी है ख़ुदा
पहले जीता था मैं ज़िंदगी को मगर
ज़िंदगी अब मुझे जी रही है ख़ुदा
क्या सितम है कि मुझको पता भी नहीं
किस ख़ता की सज़ा मिल रही है ख़ुदा
अब दुआ है वो लड़की सलामत रहे
जिसको अम्मा मेरी कोसती है ख़ुदा
चाहता हूँ उसे मुझसे बेहतर मिले
और वो भी यही चाहती है ख़ुदा
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