Akhtar lakhnvi

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@akhtar-lakhnvi

Akhtar lakhnvi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Akhtar lakhnvi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
दिल में टीसें जाग उठती हैं पहलू बदलते वक़्त बहुत
अपना ज़माना याद आता है सूरज ढलते वक़्त बहुत

वो परचम वो सर के तुर्रे और वो सफ़ीने अपने थे
जिन को देख के शो'ले भी रोए थे जलते वक़्त बहुत

उन शीशों के रेज़ों का मरहम है अपने ज़ख़्मों पर
लम्हा लम्हा जो टूटे तलवारें चलते वक़्त बहुत

पल भर में पानी होते देखे हैं सनम किरदारों के
हम कैसे कह दें लगता है संग पिघलते वक़्त बहुत

सूने कितने बाम हुए कितने आँगन बे-नूर हुए
चाँद से चेहरे याद आते हैं चाँद निकलते वक़्त बहुत

अब हर घर की चौखट हम पर हँसती है तो राज़ खुला
फूट फूट कर रोई थीं क्यूँ दहलीज़ें चलते वक़्त बहुत

दो नस्लों की कश्ती थी वो पिछले दिनों जो डूब गई
भीगे जिस्मों वालो लगेगा तुम को सँभलते वक़्त बहुत
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