Dharmpal Aaqil

Dharmpal Aaqil

@dharmpal-aaqil

Dharmpal Aaqil shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Dharmpal Aaqil's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
गुज़र जाते हैं जो नज़रें बचा कर बे-ख़बर हो कर
वो क्या दरमाँ करेंगे दर्द-ए-दिल का चारागर हो कर

नहीं सय्याद का शिकवा यही मंज़ूर-ए-क़ुदरत था
क़फ़स ही में हमें रहना था यूँ बे-बाल-ओ-पर हो कर

ज़माने-भर में हो आए तुम्हारी दीद की ख़ातिर
चराग़-ए-आरज़ू बन कर तमन्ना-ए-नज़र हो कर

बुरा हो बे-ख़ुदी का हम रहे महरूम-ए-नज़्ज़ारा
गुज़रने को हज़ारों बार वो गुज़रे इधर हो कर

मुक़द्दर में जो होता है लिखा हो कर ही रहता है
मिरी आहें पलट आईं फ़लक से बे-असर हो कर

कहाँ से किस तरह किस वक़्त खिंच कर लोग आ पहुँचे
वहीं लगते गए मेले कोई गुज़रा जिधर हो कर

सुख़न-दानों ने लाखों शे'र कह डाले मगर 'आक़िल'
नहीं वो शे'र जो उतरे न दिल में नेश्तर हो कर
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Dharmpal Aaqil
परेशाँ हैं ख़िरद-मंदों की हैरानी नहीं जाती
मिटाई अक़्ल से तहरीर-ए-पेशानी नहीं जाती

भुलाता हूँ उन्हें जितना वो उतने याद आते हैं
ख़लिश ज़ख़्म-ए-मोहब्बत की ब-आसानी नहीं जाती

अगर हो शीशा-ए-दिल साफ़ तो दम-भर में खुल जाए
हक़ीक़त क्यों ख़ुदा-ए-पाक की जानी नहीं जाती

मुक़द्दर में जो लिक्खा है वो बदला है न बदलेगा
ख़ुदाई हुक्म में हुज्जत कोई मानी नहीं जाती

किसी का जल्वा-ए-रंगीं कहीं इक बार देखा था
मगर अब तक निगाहों की वो हैरानी नहीं जाती

हवस दीदार की दिल से जो निकले भी तो क्या निकले
बहार-ए-हुस्न की जब जल्वा-सामानी नहीं जाती

हयात-ए-चंद-रोज़ा के तमाशों में हैं ग़म ऐसे
हमारे दिल से हिर्स-ए-आलम-ए-फ़ानी नहीं जाती

हमारी ज़िंदगी है इक बहार-ए-बे-ख़िज़ाँ 'आक़िल'
हमारे ताइर-ए-दिल की ग़ज़ल-ख़्वानी नहीं जाती
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