Faisal Nadeem Faisal

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Faisal Nadeem Faisal shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Faisal Nadeem Faisal's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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Shayari
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  • Ghazal
ज़मीन-ए-हिज्र में गर्दन तलक गड़ा हुआ हूँ
मैं तुझ को हार के अब सोच में पड़ा हुआ हूँ

हर एक सम्त है शोरिश बला की वहशत है
मैं दश्त-ज़ाद हूँ और शहर में खड़ा हुआ हूँ

ख़ुदा का शुक्र कि ज़ेबाइशों का हूँ बाइ'स
ये और बात कि पाज़ेब में जड़ा हुआ हूँ

ये इश्क़ मौत के अस्बाब पैदा करता है
मैं तीस साल से इस बात पर अड़ा हुआ हूँ

किया था आप ने सर्वत का ज़िक्र ख़ैर जहाँ
मैं एहतिराम में अब तक वहीं खड़ा हुआ हूँ

ख़ुदा करे कि तुझे बंदगी पसंद आए
मैं ख़ाक हो के तिरी राह में पड़ा हुआ हूँ

मैं क़हक़हों के क़बीले का आदमी था मगर
अजीब है कि गले दश्त के पड़ा हुआ हूँ

बता रहे थे ये 'फ़ैसल' इमाम इश्क़ मुझे
मैं इंतिज़ार-ए-मुसलसल से चिड़ा हुआ हूँ
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Faisal Nadeem Faisal
कुछ सलीक़े से अगर चाक घुमाया जाता
ऐन मुमकिन है कि शहकार बनाया जाता

जाने वाले ने ग़लत फ़हमी में लौट आना था
बे-ख़याली में भी गर हाथ हिलाया जाता

इश्क़ मंसूर को ख़ुद दार तलक ले आया
इस से पहले कि कोई हश्र उठाया जाता

लौटने वाला इसी सोच में मर जाएगा
काश ज़ंजीर को दो बार हिलाया जाता

रंग भरने में मुसव्विर ने रिया-कारी की
वर्ना तस्वीर को मंदिर में लगाया जाता

इस में वहशत है अज़िय्यत है ज़बूँ-हाली है
अब ये किरदार नहीं मुझ से निभाया जाता

आप तो शक्ल से लगते हैं अदाकार मुझे
आप जैसों को नहीं दोस्त बनाया जाता

अव्वलीं ख़त को जला कर वो गुनहगार हुआ
काश ताज़ीम से दरिया में बहाया जाता

मैं ने बदली हैं रिवायात पुरानी वर्ना
मैं भी 'फ़ैसल' किसी पटरी से उठाया जाता
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