Ghazal Collection

हमारे दिल को वो ऐसा नशा बेजोड़ देते हैं
मदिर नैनों से जब मदिरा पिलाकर छोड़ देते हैं

कोई मौक़ा नहीं वो छोड़ते बदनाम करने का
हर इक शक की सुई को बस मुझी पर मोड़ देते हैं

वो अपनी शातिराना हरकतों से हैं लबालब यूँ
कि मेरी हर शराफ़त का मुक़द्दर फोड़ देते हैं

ग़ज़ब है मैं तो उनकी कश्तियाँ लाता हूँ साहिल पर
वो बदले में मुझे लाकर भँवर में छोड़ देते हैं

बहाने-बाज़ियों से बाज़ वो आते नहीं बिलकुल
कहीं की बात को लाकर कहीं पर जोड़ देते हैं

मैं अपने दिल के ज़ख़्मों को भुला पाता हूँ जैसे ही
पलट कर वो इसे फिर एक दम झंझोड़ देते हैं

अदावत भी उन्हें मुझसे मुहब्बत भी उन्हें मुझसे
ये कह कह कर वो मेरे दिल की नस नस तोड़ देते हैं
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Nityanand Vajpayee
और बीमारी की मीआद बढ़ा देते हैं
लोग बीमार को मरने की दुआ देते हैं

मुश्किलें ठहरे हुए शख़्स की बढ़ जाती हैं
जाने वाले तो फ़क़त हाथ हिला देते हैं

मुफ़्लिसी पर नहीं कुछ अपनी तमन्ना मौक़ूफ़
फिर भी कुछ लोग मिरा काम चला देते हैं

चुप रहा करते बहुत काम में आने वाले
और एहसान-फ़रामोश जता देते हैं

ताक़त-ए-सब्र का अंदाज़ा नहीं होता है
लोग तक़दीर का लिक्खा भी मिटा देते हैं

तू भी ख़ुशहाल रहे और तिरे अपने भी
हम तो ऐ दोस्त तुझे ये ही दुआ देते हैं

इस की बातों में न आना ये वही दुनिया है
लोग रस्सी को जहाँ साँप बना देते हैं

अब हमें ये भी नहीं याद यहाँ आ कर हम
जाने किस शख़्स को हर बार सदा देते हैं

ज़िंदगी रंग उन्हीं लोगों की लाती है यहाँ
वक़्त पड़ने पे जो जी जान लगा देते हैं

हम भी धोके में नहीं रखते किसी को सोहिल
सामने वाले को आईना दिखा देते हैं
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Sohil Barelvi

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