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Embark on the magic of "Mauj mein hai banjara by Shakeel Jamali" and discover a sweet bonus - 99 FREE coins, because every line of poetry deserves a golden touch!
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अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध कवि विलियम वर्ड्सवर्थ ने कहा था कि "poetry is the spontaneous overflow of powerful feelings.", शायरी एक बहती हुई नदी की तरह होती है जो बहते हुए जीवन के कई घाटों से होकर गुज़रती है, हर पहलू को छूते हुए बहती रहती है। बंजारा भी एक नदी की तरह ही होता है जो आज यहाँ तो कल वहाँ घूमता रहता है, बंजारों के लिए ये आसान नहीं होता कि वो किसी एक जगह के होकर रहें और बंजारा तभी अस्ल बंजारा है जब वो घूमता रहे। शकील जमाली साहब के 3 ग़ज़ल संग्रह पहले प्रकाशित हो चुके हैं और ये चौथी किताब 'मौज ...
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Dive deep into the mesmerizing world of Shakeel Jamali with his fourth magnum opus, "Mauj mein hai banjara". This collection is more than just words on paper; it's a vivid journey through the many landscapes of the human soul, explored through the evocative lens of one of the most celebrated poets of our time.