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इश्क़ के इज़हार से लेकर इश्क़ के नाकाम होने तक या फिर ज़िंदगी के फ़लसफ़े से लेकर मौत तक हर मौज़ूअ' पर अश'आर कहकर ग़ालिब ने साबित किया है कि शायरी में कोई बंदिश नहीं होती और बंदिश होती भी हो तो ग़ालिब ने उस बंदिश को तोड़कर मौत के बाद के हालात पर भी अश'आर कहे, जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते।
Krishnakant Kabk
August 9, 2022
March 25, 2024
हमने अब तक गाल बचा के रक्खे हैं
क्या तुमने भी गुलाल बचा के रक्खे हैं
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