शायरी और शरबत दोनों का मामला ज़्यादा अलग नहीं है। शरबत का मज़ा तब और बढ़ जाता है जब स्वाद और सेहत दोनों मौजूद हो, शायरी में भी हू-ब-हू यही तरकीब काम करती है। शायरी का स्वाद यानी ख़याल तो शायर के हाथों में क़ुदरत ने दिया है लेकिन सेहत वाला राज़ जानकर शायर इस शरबत को और मज़ेदार बना सकता है। इस Blog Series में सीखिए शायरी का सेहत वाला राज़।
इस series में हम उर्दू शायरी में प्रचलित 32 बहरों को एक-एक कर Detail में जानेंगे, और साथ ही साथ हर Blog में उस बहर पे लिखी हुई बहुत सी प्रचलित ग़ज़लें भी देखेंगे। इनके अलावा बहरों के nomenclature को भी बारीकी से देखेंगे। यानी कि इस series से आपको बहरों का अच्छा ख़ासा इल्म तो होगा ही, आप उनका नामकरण भी सीख जाएँगे। चलिए कुल मिलाकर इल्म में इज़ाफ़ा ही हो रहा है, यही हमारी भी कोशिश है।
Kaif Uddin Khan
December 8, 2023
इस blog में हमारी वेबसाइट पर भेजी जाने वाली शायरी के अस्वीकार होने के कारणों के बारे में बात करेंगे। आप में से कई नए शायर हमारी ओर से दिए जाने वाले कारणों को समझ पाने में असमर्थ होते हैं। इस blog के ज़रिए हम आपको उन ग़लतियों को ठीक करना सिखाएँगे, जो आपसे अनजाने में हो जाती है या जिनकी जानकारी आपको न
Nadeem Khan
August 9, 2022
राहत, एक ऐसी शख़्सियत है जिसके नाम में ही सुकून है और जो राहत साहब को जानते हैं, पढ़ते हैं, सुनते हैं, समझते हैं, उनके लिए यह सुकून नहीं जुनून है और यही जुनून उनकी शायरी में भी झलकता है
Krishnakant Kabk
August 9, 2022
इश्क़ के इज़हार से लेकर इश्क़ के नाकाम होने तक या फिर ज़िंदगी के फ़लसफ़े से लेकर मौत तक हर मौज़ूअ' पर अश'आर कहकर ग़ालिब ने साबित किया है कि शायरी में कोई बंदिश नहीं होती और बंदिश होती भी हो तो ग़ालिब ने उस बंदिश को तोड़कर मौत के बाद के हालात पर भी अश'आर कहे, जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते।
Krishnakant Kabk
August 9, 2022
जो शायर है वो Lyricist भी है लेकिन जो Lyricist है वो शायर हो ये ज़रूरी नहीं है। इस बात को समझने के बाद आपको तय करना होगा कि आप शायर बनना चाहते हैं या Lyricist
Balmohan Pandey
August 9, 2022
अच्छी शायरी अपडेट नहीं हो रही उस तेज़ी से। Openmicers सिंपल टॉपिक ले आते हैं लेकिन एक चीज़ से मात खा जाते हैं जो शायरों के पास ही है- craft!! अच्छे क्राफ्ट में ढाली गयी बात ज़्यादा दिन तक याद रहती है और ज़्यादा असर रखती है।
Vibhat Kumar
August 9, 2022
एक बुनियादी सवाल अक्सर उठता रहता है कि शाइरी में दिल का ज़्यादा दख़्ल है या दिमाग़ का? और दोनों का है तो कितना दिल का और कितना दिमाग़ का? दुनिया अल्फ़ाज़ों में कहें तो क्या ज़ेहनी कुश्ती करके यानी बुनियादी नियम सीखकर क्या कोई मीर ओ गालिब़ बनने का दावा कर सकता है?
Vibhat Kumar
August 9, 2022
आज जौन एलिया कि शायरी को जौन एलिया से ही खतरा है। हम सब एलियाईओं का जौन जौन की शाइरी की बाकी परतों को खुलने ही नहीं दे रहा। हमलोग बस कुछ सतहें खोलकर समझ रहे हैं कि वाह जौन क्या कमाल शाइर है पर जौन यहाँ खत्म नहीं होता।
Vibhat Kumar
August 9, 2022
ये तो सच है कि आशिक का दिल तो बस माशूक की याद में रोता है पर आशिक अपने ग़म में औरों का ग़म तलाश लेता है। कहा जाता है ग़मों को रहने के लिए सबब के बहुत से सराय दरकार होते हैं। ये आशिक को दुनिया के ग़म तक खींच लाते हैं।
Vibhat Kumar
August 9, 2022
ये इंक़लाब में मोहब्बत का मिलना और मोहब्बत में इंक़लाबी रंग जिस शदीद लहजे में मजाज़ के यहाँ दिखता है , वो मानो ऐसा है कि गुलाब के फूल से जंग लड़ने की हिमाकत है और मजाज़ इस जुरअत पर खरे उतरते नज़र आते हैं। बकौल फिराक़, मजाज़ की शाइरी तरक्की पसंद शाइरी ( progressive poetry) का manifesto है।
Vibhat Kumar
August 9, 2022
आप इश्क़ क्यों करते हैं या इंसान इश्क़ क्यों करता है? अमूमन इंसान इस बात से नावाकिफ़ नज़र आता है | पर दाग़ कह रहे हैं कि मेरे इश्क करने का तो एक ही सबब है और एक ही मतलब है, कि दम निकल जाए हिचकियाँ आते आते | क्या यहाँ मुराद आशिक के दम निकलने से है? या माशूक़ के?
Vibhat Kumar
August 9, 2022
रूठने और मनाने की ऐसी अठखेलियाँ के जहाँ रिश्ता खत्म करने तक बात आ गई और फिर महबूब के इक बार गले में हाथ डालते ही जो शख्स पिघल जाए तो आपको क्या लगता है कि क्या वो शख्स जब नफ़रत करेगा तो क्या सतही नफ़रत करेगा? वो मुंह नोंच लेगा अपनी महबूबा का वहशत में।