उर्दू काव्य शास्त्र में ख़ुसूसन दो तरह की शायरी होती है। ग़ज़ल और नज़्म। ग़ज़ल को पाबंदी और नज़्म को आज़ादी का 'अलामत माना गया है। इस Blog में आप ग़ज़ल की पाबंदियां (नियम) जानेंगे।
पिछले दो Blog( उर्दू शायरी की बारीकियां, उर्दू को हिंदी स्क्रिप्ट में कैसे लिखें और पढ़ें) पढ़कर आप ग़ज़ल के लिए नींव और दीवारें बना चुके हैं इस Blog में छत डालने का काम होगा।
चलिए देखते हैं ग़ज़ल को -
पहले तो बाहर से ताका-झांकी करते हैं फिर अंदर उतरेंगे। ग़ज़ल को बाहर से देखने पर आपको लगेगा कि उसका एक Fixed Structure है। इस Structure को समझने के लिए कुछ नहीं करना बस एक पेड़ को उल्टा टांगना है। पेड़ को उल्टा टांग देने के बाद आप ग़ज़ल को उस पेड़ में देख सकते हैं।
ग़ज़ल का पहला हिस्सा जड़ है, जिसे मतला कहते हैं। ग़ज़ल का आख़िरी हिस्सा माथा है, जिसे मक़्ता कहते हैं।
परिभाषा देकर बात करें तो -
एक ही बहर, रदीफ़ और हम-क़ाफ़िया के साथ लिखे/कहे अश'आर (शेर का बहुवचन) के Group को ग़ज़ल कहते हैं।
रदीफ़ और क़ाफ़िया के बारे में आप पिछले Blog( उर्दू शायरी की बारीकियां ) में पढ़ चुके हैं यह मानते हुए मैं Class को आगे बढ़ा रहा हूँ-
बहर को समझने से पहले ग़ज़ल के कुछ Terms देख लेते हैं जिनका Role ग़ज़ल के Structure को बनाने में होता है।
मतला
ये ग़ज़ल का पहला शेर होता है। इसकी ख़ासियत है इसके दोनों मिसरों में रदीफ़ और क़ाफ़िया होता है।
जैसा कि मैंने बताया मतला ग़ज़ल की जड़ है, जैसी जड़ होगी वैसा ही पेड़ होगा यानी मतला ही ग़ज़ल की बहर, रदीफ़ और क़ाफ़िया तय करता है। सिर्फ़ मतला सुनकर ही आप ग़ज़ल की Properties (बहर, रदीफ़ और क़ाफ़िया) के बारे में बता सकते हैं।
मतला के बाद आने वाले सभी अश'आर (शेर) में सिर्फ 2nd Line (मिसरा-ए-सानी) में ही रदीफ़ और क़ाफ़िया होते हैं।
समझने के लिए Example मतला और एक शेर देखिए-
6221
इसमें "गई जैसे" रदीफ़ है जो कि मतला के दोनों मिसरों में और शेर के सानी मिसरे (2nd Line) में हू-ब-हू Repeat हो रहा है। रदीफ़ से ठीक पहले क्रमशः "मिल", "खिल" और "मुश्किल" है जो कि आपस में हम-क़ाफ़िया है।
मक़्ता
आख़िरी शेर को मक़्ता कहते हैं। यह बाकी अश'आर (शेर) की तरह सामान्य होता है। इसकी सिर्फ़ एक ख़ासियत है शायर अपना नाम (तख़ल्लुस) इसमें Use करते हैं।
Example मक़्ता देखिए -
6559
इसमें 'कब्क' तख़ल्लुस है।
अभी तक आपने ग़ज़ल की लगभग सभी ज़रूरी बातें जान लीं है। ग़ज़ल को को यहीं ख़त्म करते हुए हम अब शेर की बात करेंगे।
चलिए Class को आगे बढ़ाते हैं। अभी तक के सभी Blog में आपने बहुत सी बातें सीखी है या यूँ कह लीजिए कि आपने बहुत सारे फल उगा लिए हैं, उन सब बातों को एक गिलास में मिलाकर अब मैं आपको शायरी नाम का शरबत बनाने की तरकीब बताऊंगा।
शरबत में मिलाने वाली ज़रूरी चीज़ों की फ़ेहरिस्त एक बार फिर देख लेते हैं।
1) बहर
2) क़ाफ़िया
3) रदीफ़ (गैर-ज़रूरी)
रदीफ़ ज़रूरी नहीं है इसका सीधा सा मतलब होता है कि फ़ेहरिस्त में केवल बहर और क़ाफ़िया बचा, लेकिन सिर्फ एक शेर (मतला नहीं) कहने/लिखने के लिए क़ाफ़िया की भी ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम-क़ाफ़िया तो तब मिलाएंगे ना जब एक से अधिक क़ाफ़िया होंगे। सारी बातें निचोड़ दो तो सिर्फ बहर ही बच जाएगी।
बहर ही असली शरबत है बाकी सब तो ऊपर से डाला जाने वाला मसाला हैं।
कहने को तो आप बिना बहर का शेर भी कह सकते हैं लेकिन वो सिर्फ स्वाद वाला शरबत होगा, सेहत वाला नहीं। याद रखिए हमें स्वाद और सेहत दोनों का ख़्याल रखना है
चलिए! मैं मुद्दा बदलते हुए आपसे पूछता हूँ कि क्या आप शब्दों को पढ़ कर उनका वज़्न जान पा रहे हैं? यदि नहीं तो आप पिछले Blog( उर्दू शायरी की बारीकियां ) में बताए तरीक़े को एक बार फिर से दोहराएं। शब्दों को पढ़ने से आपको उनके वज़्न पता चलने लगेगा। बस थोड़ी Practice करनी होगी।
यदि वज़्न पता करना आप सीख गए तो कुछ शब्दों के वज़्न देखिए -
वो - 2
हम - 2
तुम - 2
इक - 2
नहीं - 12
दफा -12
देखा - 22
सीखा - 22
लिखना - 22
तैरना - 212
अब आप एक शेर पढ़िए और उसकी तक्ती'अ कीजिए यानी उसका वज़्न उसके नीचे लिख कर देखिए -
6223
तक्ती'अ -
वो/तैरना/सीखा/नहीं
2 / 212 / 22 / 12
जो/इक/दफ़ा/डूबा/नहीं
2 / 2 / 12 / 22 / 12
गौर फ़रमाएं तो पता चलेगा दोनों मिसरे (Lines) का वज़्न 2212 2212 ही है। यानी कुछ तो Similiar है इन दो Lines की बनावट में।
वो ख़ास चीज़ जो इन दोनों में Similar है उसी को शायरी की दुनिया में बहर के नाम से जाना जाता है।
आप एक चीज़ और देखें कि इसमें दोनों मिसरों में रदीफ़ और क़ाफ़िया भी है यानी ये शेर ग़ज़ल का मतला हो सकता है।
अब आपको एक Idea हो गया है कि बहर क्या होती है तो मैं आपको बहर से जुड़ी एक ज़रूरी बात दोहरा देता हूँ-
ग़ज़ल के पहले शेर (जिसे मतला कहते हैं) की पहली Line (मिसरा-ए-उला) की जो बहर रहेगी वही बहर पूरी ग़ज़ल की भी रहने वाली है।
ऊपर दिए मतले के बाद का एक शेर देख लीजिए -
6224
तक्ती'अ -
मौसम/यही/है/प्यार/का
22 / 12 / 2 / 21 /2
सावन/अभी/आया/नहीं
22 / 12 / 22 / 12
मतला और शेर की हर Line (मिसरा) का वज़्न एक Fixed order में है, यही बहर है।
बहर को समझने के लिए तक्ती'अ के कुछ Examples देखते हैं -
6204
चराग़ों को / उछाला जा / रहा है
1222 / 1222 / 122
हवा पर रौ / ब डाला जा / रहा है
1222 / 1222 / 122
744
ज़िंदगी किस / तरह बसर / होगी
2122 / 1212 / 22
दिल नहीं लग / रहा मोहब् / बत* में
2122 / 1212 / 22
मोहब्बत को मुहब्बत पढ़ा जाता है, यही इसका सही उच्चारण है इसलिए मोहब्बत का वज़्न 122 होगा।
मु / हब् / बत
1 / 2 / 2
1323
उजाले अप / नी* यादों के / हमारे सा / थ रहने दो
1222 / 1222 / 1222 / 1222
न जाने किस / गली में ज़िन् / दगी की शा / म हो जाए
1222 / 1222 / 1222 / 1222
*अपनी का वज़्न 22 होते हुए इसे 21 गिना गया है, यह एक प्रकार की छूट है जिसमें शब्द के आख़री अक्षर की मात्रा "आ", "ई", "ऊ" "ए" या "ओ" हो तो उसे गिराकर 2 की जगह एक गिना जा सकता है। ग़ज़ल में मिलने वाली सभी छुटों के बारे में अगले Blog में विस्तार से बताया जाएगा। इन्हें जाने बिना भी आप ग़ज़ल कह/लिख सकते हैं।
1188
होश वालों / को ख़बर क्या / बे-ख़ुदी क्या / चीज़ है
2122 / 2122 / 2122 / 212
इश्क़ कीजे / फिर समझिए / ज़िंदगी क्या / चीज़ है
2122 / 2122 / 2122 / 212
आप देखेंगे कि हर शेर की अपनी एक बहर है, यही बहर एक धुन या लय का काम करती है यानी बहर में लिखे गीत की हर Line को गुनगुनाते समय आप एक Rhythm महसूस कर सकते हैं। समझने के लिए कुछ पुराने गानों की तक्ती'अ करके देखते हैं-
6250
तुम अगर / साथ दे / ने का वा / दा करो
212 / 212 / 212 / 212
मैं यूँ ही / मस्त नग़् / मे लुटा / ता रहूँ
212 / 212 / 212 / 212
तुम मुझे / देख कर / मुस्कुरा / ती रहो
212 / 212 / 212 / 212
मैं तुम्हें / देख कर / गीत गा / ता रहूँ
212 / 212 / 212 / 212
6251
मेरे रश् / के क़मर / तू ने पह / ली नज़र
212 / 212 / 212 / 212
जब नज़र / से मिला / ई मज़ा / आ गया
212 /212 / 212 / 212
बर्क़ सी / गिर गई / काम ही / कर गई
212 / 212 / 212 / 212
आग ऐ / सी लगा / ई मज़ा / आ गया
212 /212 / 212 / 212
उम्मीद है कि इन Examples से आपको बहर की Importance पता चली होगी। आपको शरबत का सेहत वाला राज़ मैंने बता दिया है, स्वाद तो बनाने वाले के हाथ में होता है। मैं आपको कुछ बहरों की फ़ेहरिस्त दे देता हूँ जिनपर अब आप अपने अश'आर कह/लिख सकते हैं-
2. 2122 1212 22
7. 122 122 122
10. 212 212 212
11. 212 212 212 2
12. 212 212 212 212
13. 1212 212 122 1212 212 122
14. 2212 2212
15. 2212 1212
16. 2212 2212 2212
17. 2212 2212 2212 2212
18. 2122 2122
19. 2122 1122 22
20. 2122 2122 212
21. 2122 2122 2122
22. 2122 2122 2122 212
23. 2122 1122 1122 22
24. 1121 2122 1121 2122
25. 2122 2122 2122 2122
26. 1222 1222 122
27. 1222 1222 1222
28. 221 1221 1221 122
29. 221 1222 221 1222
30. 212 1222 212 1222
31. 212 1212 1212 1212
32. 1212 1212 1212 1212
यह फ़ेहरिस्त बहुत बड़ी है लेकिन इसे सिर्फ 32 तक लाकर रोक दिया है, क्यों रोका है इसका कारण अगले Blog में बताऊंगा और ये भी बताऊंगा कि ये बहरे बनी कैसे हैं? तब तक इनमें से एक बहर चुन लीजिए और अपने अश'आर लिखने की कोशिश कीजिए। अगर आप लिख पा रहे हैं तो Comments में भेज दीजिएगा और कहीं तकलीफ़ हो तो आप बेझिझक Comments में पूछ सकते हैं। मिलते हैं अगले Blog में...
शुक्रिया!
Nikhil Mourya
Bhai apko to teacher hona chahiye kisi school ka