चलिए क्लास को आगे बढ़ाते हैं। अच्छा आप मुझे बताएं कि क्या आप अंग्रेजी के बड़े बड़े शब्दों को पढ़ने के लिए क्या करते हैं? उदाहरण के लिए, Onomatopoeia या paleontology को पढ़ते वक्त क्या आप भी शब्द को तोड़कर पढ़ने की कोशिश करते हैं ताकि फिर बाद में अंदाज़ा लगा सकें कि पढ़ना कैसे है?
उर्दू-हिन्दी में भी लफ़्ज़ को अगर सही तरीके से तोड़कर न पढ़ा जाए तो मतलब अलग अलग निकल सकते हैं। उदाहरण के लिए एक शब्द लेते हैं, "करम", इसे तीन तरीके से पढ़ा जा सकता है!
1) क-र-म यहाँ (-) मतलब आपको रूकना है पढ़ते वक्त।
2) कर-म और
3) क-रम
1) वाले का कोई मतलब नहीं है। 2) को पढ़ने पर वह संस्कृत निष्ठ हिन्दी का शब्द "कर्म" लगता है। 3) को पढ़ने पर वो उर्दू का लफ़्ज़ करम यानी उपकार या कृपा।
समझ पा रहे हैं क्या कहना चाह रहा हूँ ?
उर्दू काव्यशास्त्र उच्चारण आधारित शास्त्र है। यहाँ शब्द के उच्चारण को ध्वनि के एतबार से नापा तौला जाता है। शब्द के उच्चारण की ध्वनि को दो ध्वनियों में बाँट सकते हैं।
1) लघु ध्वनि ( सौते-ख़फ़ीफ़)
2) दीर्घ ध्वनि (सौते-तवील)
Bracket में लिखे शब्दों से घबराएं नहीं, न ही उन्हें याद करने की ज़रूरत है, वो बस यहाँ comprehensiveness के एतबार से लिखे गये हैं।
साधारण तौर पर लघु के लिए 1 और गुरु के लिए 2 इस्तेमाल किया जाता है।
किसी अक्षर की छोटी ध्वनि को लघु कहते हैं। "अ", " इ", "ए" स्वर के सभी अक्षर "लघु" होते हैं।
किसी अक्षर की बड़ी ध्वनि को "गुरु" कहते हैं। उर्दू काव्यशास्त्र के हिसाब से "गुरु" दो तरह के होते हैं।
1) आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ,अं, अः के सभी अक्षर गुरु होते हैं।
2) उच्चारण के एतबार से दो लघु अक्षर मिलकर एक गुरु बनाते हैं।
जैसे :- अपना शब्द को तोड़कर आप अप ना लिखिए और कहिए कि ये 2-2 में उच्चारित होगा।
चलिए, अब मैं आपको शब्द देता हूँ, आप लघु और गुरु में तोड़कर मुझे बताइये comment section में।
1) कसम
2) अंधेरा
3) बन्दगी
4) मुद्दत
5) दोस्ती
तक़तीअ
शब्द को उच्चारण के एतबार से तोड़ने को तक़तीअ कहते हैं। न केवल शब्दों की बल्कि अशआर की भी तक़तीअ की जाती है। यानी ऊपर जो हमने किया वो तक़तीअ थी और अब हम यह अशआर के साथ करेंगे।
जैसे : दि ले ना दाँ तु झे हु वा क्या है
1 2 2 2 1 2 1 2 2 2
आ ख़िर इस दर द की द वा क्या है !
2 2 2 2 1 2 1 2 2 2
So simple, isn't it? अच्छा कोई बात नहीं, यही तो practice की बात है। कोशिश करते रहें, होगा, ज़रूर होगा।
और ना हो तो कोई और काम कर लें। it's not a big beal, is it?
चलिए एक homework! ग़ालिब की ये ग़ज़ल जिसके मतले की तक़तीअ हमने की, उस पूरी ग़ज़ल की तक़तीअ किजीएगा। मन करे तो comment section में उत्तर डाल दीजियेगा।
वज़्न
शब्द की उच्चारण की ध्वनि के उतार चढ़ाव को वज़्न कहते हैं|
यानि तक़तीअ आप हर शब्द की कर सकते हैं। और जो तक़तीअ आपने की है, और जो संख्या आपने उस शब्द को अंत में दी है, अब वो उसके उच्चारण का एक अद्वितीय पैमाना है, और इस लिहाज़ से unique भी है।
जैसे :- आशियाना की तक़तीअ 2-1-2-2 है। ये इसके उच्चारण का fingerprint कहा जा सकता है। इसके जैसे तक़तीअ का कोई भी शब्द इसी की तरह एक धुन पर सजा लगेगा।
जैसे :- हार जाना, भी 2-1-2-2 है। बोल के देखिए, मज़ा भी आएगा, पता भी चलेगा।
रूक्न (गण)
इन शब्दों का कोई मतलब तो नहीं होता, पर इनका उपयोग दूसरे लफ़्ज़ों को नापने के लिए होता है कि उनका वज़्न कितना है? ये बाज़ार में दिखने वाले दुकानदार के वज़नों जैसे हैं। ज़रूरी पर बस शब्दों की दुकान पर। तो शाइर कौन हुआ?
मुझे बताना होगा क्या? शाइर बनिया होता है।
जैसे फ़ायलातून एक रूक्न है। जिसका वज़्न 2-1-2-2 है। ऊपर के उदाहरण आशियाना और मर जाना दोनों फ़ायलातून के हमवज़्न हैं।
हमवज़्न मतलब दो लफ़्ज़ जिनका वज़्न एक सा है।
कुल 11 अरकान ( रूक्न का बहुवचन) होते हैं।
• सात हर्फ़ी अरकान
1) मफ़ाईलुन :- 1-2-2-
2) मफ़ाइलतुन :- 1-2-1-1-2
3) मुतफ़ाइलुन :- 1-1-2-1-2
4) फ़ायलातून :- 2-1-2-2
5) मुस्तफ़इलुन :- 1-2-1-1-2
6) मफ़ऊलात :- 1-1-2-2-1
• छे हर्फ़ी अरकान
1) मफ़ाईल :- 1-2-2-1
2) मफ़ाइलुन :- 1-2-1-2
3) फ़यलातुन :- 1-1-2-2
4) फ़ायलात :- 2-1-2-1
5) मफ़ऊलुन :- 2-2-2
• पांच हर्फ़ी अरकान
1) फ़ऊलुन :- 1-2-2
2) फ़यलात :- 1-1-2-1
3) फ़ायलुन :- 2-1-2
4) मफ़ऊल :- 2-2-1
• चार हर्फ़ी अरकान
1) फ़ऊल :- 1-2-1
2) फ़यलुन :- 1-1-2
3) फ़ेलुन :- 2-2
• तीन हर्फ़ी अरकान
1) फ़अल :- 1-2
2) फ़ाअ :- 2-1
• दो हर्फ़ी अरकान
1) फ़े :- 2
देखकर डरिये मत!खैर डरने वाली बात है तो ज़रूर। पर डरिये मत। हर्फ़ पहचानना ज़रूरी है कि ये किस अरकान से संबद्ध है।
जैसे :- ये ले लीजिए, "मिल गया है" इसकी तक़तीअ 2-1-2-2 है। ये अरकान फ़ायलातून से संबद्ध है।
लीजिए practice के लिए कुछ शब्द। आपको बताना है कि ये किस अरकान से संबंधित हैं।
1) हादसात
2) मुतज़ाद
3) भीगी रात
4) बरकत
5) सितम
वही, अपना ठीकाना, comment section! लिखकर डालिएगा ज़रूर।
रदीफ़ और काफ़िया
अगर आप थोड़ी बहोत भी उर्दू शायरी की समझ रखते हैं, तो आप इन दोनों से वाकिफ़ होंगे। पूरी तरह नहीं पर एक मोटा मोटी तो पता ही होगा। फिर भी, बस खाना पुर्ण करने के लिए define कर रहा हूँ।
जो एक अशआर से दूसरे में न बदले वो रदीफ़, और जो बदल जाए वो काफ़िया। ये दोनों शेर के अंत में नज़र आएंगे। उदाहरण के बिना समझाना थोड़ा मुश्किल होगा।
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यहाँ हमारा-सारा, इन लफ़्ज़ों को काफ़िया कहेंगे। "जाने है" रदीफ़ होगा।
रदीफ़ के कोई नियम नहीं हैं। बस ये कि कुछ ग़ज़लों में रदीफ़ होती ही नहीं। ऐसे अशआर गैर-मुरद्दफ़ अशआर कहे जाते हैं।
जिनमें रदीफ़ होती है, वो मुरद्दफ़ कहे जाएंगे।
काफ़िये के नियम
1) कोई भी काफ़िया कम से कम दो हर्फ़ों से बनता है। एक हर्फ़ का कोई काफ़िया नहीं होता। दो से ज़्यादा का हो सकता है।
2) हर काफ़िये के हर्फ़ के एतबार से दो भाग होते हैं।
• हर्फ़े-मुस्तकिल
• हर्फ़े-मुतबद्दिल
हर्फ़े-मुस्तकिल उस हर्फ़ को कहते हैं जो काफ़िये में स्थायी होता है।
हर्फ़े-मुतबद्दिल उस हर्फ़ को कहते हैं जो बदलता रहता है।
मिसाल के लिए, पिछले उदाहरण में हमारा और सारा शब्दों में "रा" कायम है, उसे हर्फ़े-मुस्तकिल कहेंगे, और बाकी के लफ़्ज़ हर्फ़े-मुतबद्दिल कहलाएंगे।
सो ये कहने को एक नियम कह सकते हैं। हर्फ़े-मुस्तकिल और हर्फ़े-मुतबद्दिल होने ही चाहिए। पर आप देखिए!
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यहाँ हर्फ़े-मुस्तकिल पहचानिए, 'न' है। पर हर्फ़े-मुतबद्दिल तो है ही नहीं, बदला क्या? कुछ भी नहीं। बस "ई" जुड़ गया। पर ईमान और मान के माअनी अलग हैं। तो कहिये कि acceptable है।
साधारणसूरतों में हमें कोशिश करनी चाहिए कि नियम न टूटे। अगर टूटता है तो मुश्किल होगी। मत तोड़ियेगा।
••दो ऐसे लफ़्ज़ जिनमें "हर्फ़े-मुतबद्दिल" और "हर्फ़े-मुस्तकिल " काफ़िये के नियम के मुताबिक़ हों वो हम-काफ़िया कहे जाएंगे।
चलिए इन लफ़्ज़ों के हम काफ़िया लफ़्ज़ खोजिए
1) हसरत
2) मशीन
3) लानअत
4) जुनूँ
5) बिस्तर
सोच रहा हूँ यहीं आराम करूँ। ये जो हमारा सफ़र है शाइरी का, मुझे तो मंज़िल पर पहुँचा देगा, पर आप अपना देख लो। practice करनी होगी। नियम सीखकर भूलने में देर नहीं लगती। बाकी बहर की बारीकियाँ अगले ब्लॉग में। तब तक के लिए कोशिश करते रहिए!
शुक्रिया!
Abd Khan
ये मोहब्बत है ये मर जाने से भी जाती नहीं
तू कोई क़ैदी नहीं है जो रिहा हो जाएगा