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@krishnakantkabk
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मोहब्बत से मोहब्बत मिल गई जैसे कि सहरा में कली इक खिल गई जैसे न जाने कैसे तुम बिन जी रहा था मैं समझ लो हर घड़ी मुश्किल गई जैसे
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