आज के Blog में हम फ़िल्मी गीत यानी Lyrics लिखने की तरकीब के बारे में बात करेंगे। अगर आप Lyricist बनना चाहते हैं तो यह Blog आपके लिए एक बेहतरीन शुरूआत है। 


मेरा मानना है कि जो शायर है वो Lyricist भी है लेकिन जो Lyricist है वो शायर हो ये ज़रूरी नहीं है। इस बात को समझने के बाद आपको तय करना होगा कि आप शायर बनना चाहते हैं या Lyricist 


समझने की बात सिर्फ़ इतनी है कि एक अच्छा Lyricist बनने के लिए आपको शायरी की बुनियादी बातें पता होनी चहिए क्योंकि गीत/गाने यानी संगीत की बुनियाद "धुन" होती है और यही धुन शायरी में "बहर" नाम से मौजूद है। इस Blog को पढ़ने से पहले शायरी की बुनियादी जानकारी होना ज़रूरी है जिसके लिए आप ( शायरी सीखें ) Blog series में Blog पढ़ सकते हैं। 


शायरी से गीत तक का सफ़र दो तरीक़ों से होता है। 


पहला


Lyricist को कहा जाता है कि Film में Situation के हिसाब से गाना लिखो। Lyricist किसी धुन/बहर/Meter को आधार मानकर अपने अल्फ़ाज़ मिसरा-दर-मिसरा लिखता है। जिसमें शायरी के नियम और छूट दोनों का इस्तेमाल किया जाता है। लिखा हुआ Composer(संगीतकार) के पास जाता है, इस्तेमाल किए गए Meter के हिसाब से Composer धुन बनाता है। अगर लिखा हुआ हर मिसरा एक ही बहर में है तो हर मिसरा बनाई गई धुन में गाया जा सकता है। 


अगर Lyricist कुछ मिसरे लिखता है और दो अलग-अलग Composers को वही मिसरे भेजता है तो यह मुमकिन है कि दोनों Composer अलग-अलग धुन बनाए। यानी हम कह सकते हैं कि एक ही बहर में लिखे गए मिसरों  को अलग-अलग तरीक़े से गाया जा सकता है। 


दूसरा


Composer एक धुन बनाता है। धुन सुनकर Lyricist धुन में शब्द Fit करता है, गाकर और गुनगुनाकर Check किया जाता है। एक दो मिसरे लिख लेने के बाद मालूम हो जाता है कि ये किस Meter/बहर की धुन है। जिसके बाद Meter/बहर के हिसाब से कई मिसरे लिखे जाते हैं जिन्हें उसी धुन में गाया जा सकता है। 


एक धुन की एक ही बहर होती है लेकिन एक बहर पर कई धुनें बनाई जा सकती हैं। समझने के लिए दो गीतों के कुछ मिसरे देखिए जिनकी धुन अलग है लेकिन बहर एक ही है - 


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यह दोनों गीत अलग-अलग धुन में गाए जाते हैं लेकिन क्या आप इनकी धुन को आपस में बदलकर गाना चाहेंगे? यह मज़ेदार होगा। 


दोनों की तक़्ती'अ देखिए - 


सोचता / हूँ कि वो / कितने मा / सूम थे


212    /   212  /    212    /   212


क्या से क्या / हो गए / देखते / देखते 


2   1   2   /   212  / 212  /  212 


 


मेरे रश् / के क़मर / तूने पह / ली नज़र


212    /   212  /   212   /   212


जब नज़र / से मिला / यी मज़ा / आ गया


212       /   212   /   212   /   212 


 


तो ये रहा सुबूत इस बात का कि "आपको सिर्फ़ बहर में शायरी लिखना है उसे धुन में ढालकर गाना बनाना और गाकर सुनाना तो Composer और Singer का काम है"। Lyricist बनने का अलग से कोई Course नहीं है, अगर आप शायरी कहना/लिखना जानते हैं तो गाने के Lyrics लिखना आपके लिए कोई नया काम नहीं है। 


अगर आपको अभी भी यक़ीं नहीं होता तो मैं आपको एक Homework देता हूँ, Homework करने के बाद आप समझ जाएँगे कि शायर से Lyricist तक का सफ़र कितना आसान है। आप भी अपनी लिखी शायरी को गाने की तरह गा सकते हैं। 


Homework - 


बहर 212 / 212 / 212 / 212 में चार मिसरे लिखें फिर "सोचता हूँ..." और "मेरे रश्के क़मर..." की धुन में गुनगुनाकर देखें। 


आख़िर में कुछ मशहूर गानों की बहर बता रहा हूँ, आप सीधे इसी धुन में गुनगुनाकर अपने मिसरे लिखें और उन्हें दी गई बहर से मिलाकर देखें। 


बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है


1222/1222/1222/1222


( सूरज : हसरत जयपुरी) 


 


आसमाँ को ज़मीं ये ज़रूरी नहीं जा मिले, जा मिले


इश्क़ सच्चा वही जिसको मिलती नहीं मंज़िलें, मंज़िलें


212 /212 /212 /212 /212 /212 


(हमारी अधूरी कहानी - रश्मि विराग ) 


 


बेख़याली में भी तेरा ही ख़याल आए


क्यूँ बिछड़ना है ज़रूरी ये सवाल आए


2122/2122/2121/22


(बेख़याली : कबीरसिंह - इरशाद कामिल) 


 


मेरी दहलीज़ से होकर बहारें जब गुज़रती हैं


यहाँ क्या धूप क्या सावन हवाएँ भी बरसती हैं 


1222/1222/1222/1222


(तुम ही आना : मरजावाँ - कुणाल वर्मा) 


 


Practice के लिए किसी भी गाने में से कोई भी शब्द निकालकर उसमें उसी वज़्न वाला दूसरा शब्द रखकर उसी धुन में गुनगुनाकर देखें।


शुक्रिया!