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Festive Shayari

Here is a curated collection of Festive shayari in Hindi. You can download HD images of all the Festive shayari on this page. These Festive Shayari images can also be used as Instagram posts and whatsapp statuses. Start reading now and enjoy.

मौसम पर मन का कोई अधिकार नहीं
बादल हैं पर बारिश के आसार नहीं

बस्ती में कुछ लोग न मारे जाते हों
याद हमें ऐसा कोई त्यौहार नहीं

प्यार-मोहब्बत सीधे-सादे रस्ते हैं
कोई इन पर चलने को तैयार नहीं

सब मन की कमजोरी होती है वरना
गिर न सके ऐसी कोई दीवार नहीं

लोगों से उम्मीद नहीं सच बोलेंगे
सच सुनने को जब कोई तैयार नहीं

हार उसूलों की की ख़ातिर तो है मंजूर
जीत हमें पर शर्तों पर स्वीकार नहीं

जाने क्यूं अब शायर के होंठों पर भी
दिल को छू लेने वाले अशआर नहीं

सब मन की कमजोरी होती है वरना
गिर न सके ऐसी कोई दीवार नहीं

लोगों से उम्मीद नहीं सच बोलेंगे
सच सुनने को जब कोई तैयार नहीं

हार उसूलों की की ख़ातिर तो है मंजूर
जीत हमें पर शर्तों पर स्वीकार नहीं

जाने क्यूं अब शायर के होंठों पर भी
दिल को छू लेने वाले अशआर नहीं
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Ashok Rawat
"दिवाली"

मिरी सांसों को गीत और आत्मा को साज़ देती है
ये दिवाली है सब को जीने का अंदाज़ देती है
हृदय के द्वार पर रह रह के देता है कोई दस्तक
बराबर ज़िंदगी आवाज़ पर आवाज़ देती है

सिमटता है अंधेरा पांव फैलाती है दिवाली
हंसाए जाती है रजनी हँसे जाती है दिवाली

क़तारें देखता हूँ चलते-फिरते माह-पारों की
घटाएँ आँचलों की और बरखा है सितारों की
वो काले काले गेसू सुर्ख़ होंट और फूल से आरिज़
नगर में हर तरफ़ परियाँ टहलती हैं बहारों की

निगाहों का मुक़द्दर आ के चमकाती है दिवाली
पहन कर दीप-माला नाज़ फ़रमाती है दिवाली

उजाले का ज़माना है उजाले की जवानी है
ये हँसती जगमगाती रात सब रातों की रानी है
वही दुनिया है लेकिन हुस्न देखो आज दुनिया का
है जब तक रात बाक़ी कह नहीं सकते कि फ़ानी है

वो जीवन आज की रात आ के बरसाती है दिवाली
पसीना मौत के माथे पे छलकाती है दिवाली

सभी के दीप सुंदर हैं हमारे क्या तुम्हारे क्या
उजाला हर तरफ़ है इस किनारे उस किनारे क्या
गगन की जगमगाहट पड़ गई है आज मद्धम क्यूँ
मुंडेरों और छज्जों पर उतर आए हैं तारे क्या

हज़ारों साल गुज़रे फिर भी जब आती है दिवाली
महल हो चाहे कुटिया सब पे छा जाती है दिवाली

इसी दिन द्रौपदी ने कृष्ण को भाई बनाया था
वचन के देने वाले ने वचन अपना निभाया था
जनम दिन लक्ष्मी का है भला इस दिन का क्या कहना
यही वो दिन है जिस ने राम को राजा बनाया था

कई इतिहास को एक साथ दोहराती है दिवाली
मोहब्बत पर विजय के फूल बरसाती है दिवाली

गले में हार फूलों का चरण में दीप-मालाएँ
मुकुट सर पर है मुख पर ज़िंदगी की रूप-रेखाएँ
लिए हैं कर में मंगल-घट न क्यूँ घट घट पे छा जाएँ
अगर परतव पड़े मुर्दा-दिलों पर वो भी जी जाएँ

अजब अंदाज़ से रह रह के मस़्काती है दिवाली
मोहब्बत की लहर नस नस में दौड़ाती है दिवाली

तुम्हारा हूँ तुम अपनी बात मुझ से क्यूँ छुपाते हो
मुझे मालूम है जिस के लिए चक्कर लगाते हो
बनारस के हो तुम को चाहिए त्यौहार घर करना
बुतों को छोड़ कर तुम क्यूँ इलाहाबाद जाते हो

न जाओ ऐसे में बाहर 'नज़ीर' आती है दिवाली
ये काशी है यहीं तो रंग दिखलाती है दिवाली
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Nazeer Banarasi
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